नई दिल्ली | किसान आंदोलन में अब पूरी तरह से एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है. आपको बता दे कि ट्रैक्टर परेड से पहले तक जहां पंजाब का ही दबदबा दिखाई देता था. वहीं, किसान आंदोलन में अब सिर्फ हरियाणा व यूपी का दबदबा कायम हो गया है. आपको जानकारी के लिए बता दे कि इसका सबसे बड़ा कारण खापों के हाथों में बागडोर का आना माना जा रहा है. अब ये खाप केवल खाद्य सामग्री ही नहीं बल्कि आंदोलन के लिए किसानों को एकजुट करने से लेकर महापंचायतों को कराने व करोड़ों रुपये जुटाकर मदद भी कर रही हैं.
आपको बता दे कि इसका असर संयुक्त किसान मोर्चा के अंदर भी दिख रहा है और जहां पहले पंजाब के 32 संगठनों के फैसले पर मोर्चा की मुहर लगती थी, वहीं अब राकेश टिकैत, ऋषिपाल अंबावता व गुरनाम चढूनी को हर फैसले में शामिल किया जा रहा है. जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि तीन नए कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर 78 दिन से किसान आंदोलन कर रहे हैं और वह नेशनल हाईवे पर डेरा डाले हुए हैं. इस बीच आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में बवाल के बाद आंदोलन पूरी तरह से बदल गया है.
खापों ने आगे आकर संभाली बागडोर
किसान आंदोलन में जहां खापों ने काफी दिन पहले से ही केवल पीछे रहकर खाद्य सामग्री पहुंचाने का जिम्मा उठाया हुआ था. वहीं, अपने किसान नेताओं की अपील के बाद खापों ने आगे आकर आंदोलन की पूरी बागडोर को संभाल लिया है जिसमें किसानों को एकजुट कर धरनास्थल पर लेकर जा रहे हैं तो महापंचायत भी ज्यादातर खाप ही करा रही हैं.
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