Success Story: बैंक में स्वीपर महिला बनी SBI में असिस्टेंट जनरल मैनेजर, जानें इनके संघर्ष की कहानी

Success Story | किसी ने सच ही कहा है मेहनत और दृढ़ संकल्प से हर मंजिल पार की जा सकती है. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है. पुणे की रहने वाली प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar). बैंक में झाड़ू पोंछा लगाने वाली प्रतीक्षा अपनी मेहनत के बल पर आज स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) में असिस्टेंट जनरल मैनेजर है.  प्रतीक्षा की कड़ी मेहनत की कहानी हर किसी के लिए एक मिशाल पेश करती है. आइये जान लेते है प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar) के संघर्ष की कहानी.

sbi bank

पुणे शहर की रहने वाली प्रतीक्षा टोंडवलकर (Pratiksha Tondwalkar) बैंक में सहायक महाप्रबंधक (AGM) पद पर नियुक्त होने से पहले बैंक में एक स्वीपर का कार्य करती थी. प्रतीक्षा ने सालों के संघर्ष के बाद ये मुकाम हासिल किया और बैंक में इस पद पर नियुक्ति मिलने वाला यह दिन उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था. उन्होंने इस मुकाम को पाने के लिए सालों मेहनत की. जिसके बाद उन्हें ये पद हासिल हुआ.

17 साल में शादी 20 साल में पति का निधन

प्रतीक्षा का जन्म सन 1964 में हुआ था. उनकी शादी महज 17 साल की उम्र में हो गयी थी. महज 20 साल की उम्र में ही प्रतीक्षा ने अपने पति को खो दिया था. वो समय प्रतीक्षा के लिए बेहद कठिन था. उन्हें काम खोजने के लिए काफी परेशानी हुई क्यूंकि समय प्रतीक्षा के पास उचित योग्यता नहीं थी. ऐसे में प्रतीक्षा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बैंक में स्वीपर का कार्य चुना. इस कार्य के दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. अपने समर्पण को साबित करने के बाद उन्हें सफाई कर्मचारी से क्लर्क के रूप में पदोन्नत किया गया. हालांकि, यह सिलसिला यहीं नहीं थमा. इसके बाद प्रतीक्षा को स्केल 4, फिर सीजीएम और  अंत में एजीएम के पद पर नियुक्त किया गया. प्रतीक्षा की कड़ी मेहनत को देखकर एसबीआई बैंक ने उन्हें उन्हें उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया.

प्रतीक्षा के संघर्ष की कहानी

प्रतीक्षा ने अपनी कमाई के पैसो से मुंबई के विक्रोली के नाइट कॉलेज में एडमिशन लिया. इसके बाद प्रतीक्षा ने साल 1995 में मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. प्रतीक्षा की मेहनत के बल पर उन्हें बैंक क्लर्क के पद पर पदोन्नत किया गया. अब प्रतीक्षा को रिटायर होने में दो वर्ष बाकि है. प्रतीक्षा ने करीब 37 साल तक एसबीआई में अपनी सेवा दी, लेकिन इसके बावजूद अभी भी रिटायरमेंट के बाद उन्हें एक लंबा रास्ता तय करना है.

जिस समाज और बैंकिंग क्षेत्र में आज भी पुरुषों का दबदबा है. वहां प्रतीक्षा ने अपनी मेहनत के बल पर आज समाज की ढेरो महिलाओं के लिए मिशाल पेश की है. समाज में आज जो महिलाये सामाजिक दमन का शिकार होती हैं, ऐसी महिलाओं के लिए प्रतीक्षा की असाधारण सी कहानी जिसने अपने नौकरी करने के साथ पूरे परिवार की देखभाल करते हुए बैंक में एक गौरवशाली पद हासिल किया. जिसकी हर ओर आज तारीफ हो रही है.

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