नई दिल्ली | हमारे देश के महान क्रांतिकारी और वीर पुरुष यानि भगत सिंह की हर साल 23 मार्च को पुण्यतिथि मनाई जाती है. इस दिन को हर साल शहीदी दिवस या बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. दरअसल, इसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई. जिसके चलते हर साल 23 मार्च को इन क्रांतिकारियों को याद किया जाता है. जिन्होंने देश की आजादी के लिए इतनी कम उम्र में अपने प्राणों की बलि दे दी.
बता दें 23 मार्च 1931 को लाहौर की सेंट्रल जेल में क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। जिस वक़्त भगत सिंह को फांसी हुई थी उस समय उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी. लेकिन बताया जाता है भगत सिंह ने फांसी से पहले अपनी अंतिम इच्छा जताई थी. जो कि किसी कारणवश पूरी नहीं हो सकी थी. उन्होंने अपनी यह आखिरी इच्छा एक सफाई कर्मचारी को बताई थी.
ये थी आखिरी इच्छा
स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जन्म 1907 में फैसलाबाद जिले (पहले लायलपुर कहा जाता था) के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। ऐसा कहा जाता है भगत सिंह ने अपनी आखिरी इच्छा जेल में सफाई करने वाले एक व्यक्ति को कही थी. जिसमे उन्होंने कहा था कि उन्हें फांसी से पहले उनके घर का बना खाना खिलाया जाये. इस बात को केवल वही सफाईकर्मी जानता था. लेकिन तय समय से पहले भगत सिंह को फांसी दे दी गई ओर उनकी यह आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई. बताया जाता है भगत सिंह ने जेल में भूख हड़ताल भी की थी। जब 7 अक्टूबर 1930, को उनकी फांसी की सजा का एलान किया गया था. लेकिन उनको 11 घंटे पहले ही फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था.
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