नई दिल्ली | 1 अक्टूबर से भारत में 5जी सेवा की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है. एयरटेल ने देश के 8 शहरों में 5जी इंटरनेट सेवा की शुरुआत की है इसके अलावा जिओ ने चार शहरों में अपने 5G नेटवर्क की टेस्टिंग शुरू की है. अब तक हम सभी को इस 5G सेवा के लाभ के बारे में बताया गया है. लेकिन जिस चीज के फायदे होते हैं. उसके नुकसान भी काफी ज्यादा होते हैं ऐसे में आज हम आपको 5जी सेवा के पास नुकसान के बारे में बता रहे हैं. इन नुकसान को जानना आपके लिए बेहद जरूरी बात है. और आपके लिए अति आवश्यक है.
जानकारी के अनुसार 5G कनेक्टिविटी की रेंज ज्यादा दूर की नहीं होती है. फ्रिकवेंसी वेश केवल थोड़ी दूर की ट्रैवल करने में असमर्थ होती है, तथ्य यह है कि 5जी फ्रीक्वेंसी पेड़ टावर और दीवारों और इमारतों जैसी है. अवरोधों से बाधित होता है. इससे बचने का एकमात्र तरीका 5G टावरों की संख्या को बढ़ाना है जिससे इस समस्या का समाधान हो सकता है हालांकि समाधान पर काफी खर्चा होता है.
रोल आउट पर बड़ा निवेश जरूरी
5G बुनियादी ढांचे के विकास या मौजूदा सिलेंडर बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने में काफी लागत आती है. हाई स्पीड कनेक्टिविटी के लिए आवश्यक उपकरणों के रखरखाव पर होने वाले खर्च से यह रकम और भी बढ़ जाती है. इसकी संभावना है कि इस बढ़ते हुए खर्च को कंपनी ग्राहकों से वसूल करेगी हालांकि पाइप सी कंपनियां एक दूसरे के साथ टाइप करके और एक दूसरे के 5G टावर यूज करके अपनी लागत को कम कर सकते हैं.
गांव में रीच की लिमिटेशन
जैसा कि हम सब बता चुके हैं कि 5जी इंटरनेट की वेवलेंथ काफी कम होती है. ऐसे में शहरों में घनी आबादी के कारण एक फर्जी टावर से काफी लोगों को कवर किया जा सकता है. लेकिन गांव में स्थिति ठीक इसके उल्टा है गांव में पूरी आबादी को कवर करने के लिए ज्यादा टावर लगाना कंपनियों के लिए आसान नहीं होगा ऐसे में गांव में काफी कम आबादी को इस 5G की सेवा का लाभ मिलेगा.
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