Janmashtami 2022: राधा-कृष्ण के आखिरी मिलन का गवाह है कुरुक्षेत्र का ब्रह्मसरोवर घाट, पढ़े इसके पीछे की कहानी

कुरुक्षेत्र, Janmashtami 2022 | शायद आप में से बहुत लोगो ने राधा-कृष्ण से जुडी अनेको कहानियां सुनी होगी. ऐसे में आज हम आपको श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) के मौके पर राधा-कृष्ण के आखिरी मिलन के स्थान के बारे में बताने जा रहे है. आप लोगो में से बहुत लोग इस बात को हो सकता है नहीं जानते भी होंगे. तो आपको बता दें कुरुक्षेत्र का ब्रह्मसरोवर घाट राधा-कृष्ण के आखिरी मिलन का गवाह है. यानि राधा-कृष्ण का आखिरी बार मिलन इसी घाट पर हुआ था. श्रीमद्भागवद् पुराण में इस बात का वर्णन भी आपको देखने को मिलेगा. ब्रह्मसरोवर तट स्थित व्यास गौड़िया मठ में खड़ा तमाल वृक्ष आज भी राधा-कृष्ण के आखिरी मिलन की कहानी को बयां करता है.

Janmasthami

ऐसे हुआ था राधा-कृष्ण का आखिरी मिलन

बता दें मान्यताओं के अनुसार इस प्रकार का अगर कही वृक्ष है तो वो वृन्दावन के निधिवन में आज भी स्थित है. इस घर्मनगरी में यह एकमात्र ऐसा वृक्ष है. इस वृक्ष को राधा-कृष्ण के अटूट प्रेम का प्रतीक बताया जाता है. बताया जाता है जब भगवान श्रीकृष्ण बलराम सहित गोकुल नगरी छोड़कर कंस के वध के लिए मथुरा जा रहे थे. उस वक़्त सभी गोपियां, राधा रानी, यशोदा और नंद बाबा श्रीकृष्ण से अलग से दुखी हो गए थे.

उसी समय भगवान कृष्ण ने सभी गोकुलवासियों को दुबारा मिलन का वादा किया था. जिसे भगवान कृष्ण ने द्धापर युग में सूर्यग्रहण पर पूरा किया था. इसके बाद राधा गोकुलवासियों संग सोमवती अमावस्या पर कुरुक्षेत्र आई. इसी समय राधा-कृष्ण का आखिरी मिलन हुआ था. तमाल के वृक्ष कि छाया में आखिरी बार दोनों का आखिरी मिलन हुआ था.

वृन्दावन के निधिवन में है यह वृक्ष

मंदिर प्रभारी भक्ति गौरव गिरी महाराज ने बताया कि यह तमाल वृक्ष वृंदावन वृन्दावन के निधिवन में है. जहां राधा-कृष्ण आखिरी बार मिले थे. अक्सर निधि वन में तमाल के वृक्ष कि छाया में भगवान श्रीकृष्ण राधा रानी मिला भी करते थे. यही वृक्ष कुरुक्षेत्र में कृष्ण और राधा की लीलाओ को संजोये है.

इस वृक्ष की बनावट भी कुछ इस प्रकार की है कि इसकी हर टहनी एक-दूसरी टहनी के साथ ऊपर जाकर एक-दूसरे से मिल और लिपट भी जाती है. मंदिर प्रभारी ने यह भी बताया कि साल में एक बार इस पेड़ पर खास तरह के फूल आते है. इन फूलों की सुगंध न केवल मंदिर परिसर बल्कि आसपास के कई मील दूर वातावरण को भी सुगंधित कर देती है.

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